Mami ke sath sex story (1,111 views)
मेरा नाम राहुल है, और मैं दिल्ली में रहता हूँ। मैं 24 साल का हूँ, और कॉलेज पूरा करने के बाद एक छोटी सी नौकरी करता हूँ। ये कहानी उस वक्त की है जब मैं अपने मामा के घर गया था, जो लखनऊ में रहते हैं। मेरे मामा की पत्नी, यानी मेरी मामी, रीना, 32 साल की थीं। मामी की खूबसूरती का कोई जवाब नहीं था। गोरा रंग, भरी हुई देह, और वो कातिलाना मुस्कान जो किसी का भी दिल चुरा ले। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे हमेशा बेचैन कर देती थी।
मैं हर साल गर्मियों की छुट्टियों में मामा के घर जाता था। इस बार भी मैं वहाँ गया, लेकिन इस बार कुछ अलग था। मामा को किसी काम से एक हफ्ते के लिए बाहर जाना था, और घर पर सिर्फ मैं और मामी रहने वाले थे। मामा के जाने के बाद मामी ने मुझसे कहा, "राहुल, तुम तो अब बड़े हो गए हो, मेरी थोड़ी मदद कर देना घर के कामों में।" उनकी बातों में एक अजीब सी मिठास थी, जो मुझे थोड़ा असहज कर रही थी।
पहले दिन सब कुछ सामान्य था। मैं दिनभर मामी के साथ घर के कामों में मदद करता, और वो मुझे बार-बार तारीफ करतीं। उनकी हर तारीफ में एक छुपा हुआ इशारा था, जो मैं समझ नहीं पा रहा था। रात को खाना खाने के बाद मामी ने कहा, "राहुल, आज गर्मी बहुत है, एसी में मेरे कमरे में सो जाओ।" मैंने हाँ कह दिया, लेकिन मन में एक अजीब सी हलचल थी।

रात को मामी ने एक पतली सी नाइटी पहनी थी, जो उनके बदन से चिपकी हुई थी। उनकी नाइटी इतनी पारदर्शी थी कि उनके बदन की हर आकृति साफ दिख रही थी। मैं कोशिश कर रहा था कि मेरी नजरें उनकी तरफ न जाएँ, लेकिन वो बार-बार मेरे पास आकर कुछ न कुछ बात करतीं। "राहुल, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?" मामी ने अचानक पूछा। मैं थोड़ा हड़बड़ा गया और बोला, "नहीं मामी, अभी तो पढ़ाई और नौकरी में व्यस्त हूँ।" वो हँसते हुए बोलीं, "अच्छा, तो तुम अभी तक कुंवारे हो?" उनकी बातों में एक शरारत थी, जो मेरे दिल की धड़कन बढ़ा रही थी।
रात गहरी हो चुकी थी, और हम दोनों बिस्तर पर लेटे थे। मामी मेरे बगल में थीं, और उनकी साँसों की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी। अचानक मामी ने करवट बदली और उनका हाथ मेरे सीने पर आ गया। मैं सिहर उठा। "राहुल, तुम्हें नींद नहीं आ रही?" मामी ने धीमी आवाज में पूछा। मैंने हकलाते हुए कहा, "नहीं मामी, बस थोड़ा गर्मी लग रही है।" वो मुस्कुराईं और बोलीं, "तो नाइटी उतार दूँ?" मैंने चौंककर उनकी तरफ देखा, लेकिन वो हँस रही थीं।
उनकी हँसी में कुछ ऐसा था कि मेरे अंदर का डर खत्म हो गया। मैंने हिम्मत करके कहा, "मामी, आप बहुत खूबसूरत हैं।" मेरी बात सुनकर वो थोड़ा करीब आईं और बोलीं, "अच्छा? और क्या-क्या पसंद है तुम्हें मुझमें?" उनकी आवाज में एक कामुकता थी, जो मुझे और उत्तेजित कर रही थी। मैंने धीरे से कहा, "आपकी आँखें, आपकी मुस्कान... और आपका ये बदन।" मेरी बात सुनकर मामी ने मेरे गाल पर एक हल्का सा चुम्बन दे दिया।
उस चुम्बन ने मेरे अंदर आग लगा दी। मैंने हिम्मत करके मामी को अपनी बाहों में खींच लिया। वो भी मेरे करीब आ गईं और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनका चुम्बन इतना गहरा और कामुक था कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैंने उनकी नाइटी के ऊपर से उनके बदन को सहलाना शुरू कर दिया। उनकी साँसें तेज हो रही थीं, और वो मेरे कंधों को जोर से पकड़ रही थीं।
मामी ने धीरे से मेरे कान में फुसफुसाया, "राहुल, आज रात तुम मेरे हो।" उनकी बात सुनकर मेरे अंदर का जुनून और बढ़ गया। मैंने उनकी नाइटी को धीरे-धीरे उतार दिया। उनका गोरा बदन चाँदनी रात में और चमक रहा था। मैंने उनके बदन को चूमना शुरू किया, और वो सिसकारियाँ लेने लगीं। "आह... राहुल... और जोर से..." मामी की आवाज में एक मादकता थी, जो मुझे और उत्तेजित कर रही थी।
मैंने उनके स्तनों को अपने हाथों में लिया और उन्हें धीरे-धीरे दबाया। उनकी सिसकारियाँ और तेज हो गईं। मैंने उनके निप्पल्स को अपने मुँह में लिया और उन्हें चूसने लगा। मामी ने मेरे सिर को अपने सीने से दबा लिया और बोलीं, "राहुल... तुम बहुत अच्छा कर रहे हो... और करो..." उनकी बातें मुझे और जोश दिला रही थीं।
मैंने धीरे-धीरे उनके बदन को चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़ना शुरू किया। उनकी नाभि पर मैंने अपनी जीभ फिराई, और वो तड़प उठीं। "आह... राहुल... ये क्या कर रहे हो..." वो सिसकारी लेते हुए बोलीं। मैंने उनकी पैंटी को धीरे से उतारा और उनके सबसे संवेदनशील हिस्से को अपने होंठों से छुआ। मामी की सिसकारियाँ अब और तेज हो गई थीं। "राहुल... और तेज... प्लीज..." वो बार-बार कह रही थीं।
मैंने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उन्हें और उत्तेजित किया। उनकी साँसें तेज होती जा रही थीं, और उनका बदन काँप रहा था। कुछ देर बाद मामी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे कपड़े उतार दिए। वो मेरे बदन को चूमने लगीं, और उनकी हर हरकत मुझे और जोश दिला रही थी।
अब हम दोनों पूरी तरह से एक-दूसरे में खो चुके थे। मामी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और बोलीं, "राहुल, अब और इंतजार नहीं होता।" मैंने उनकी बात मानी और धीरे-धीरे उनके अंदर प्रवेश किया। उनकी गर्मी और तंगी ने मुझे पागल कर दिया। मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ा, और मामी की सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं। "आह... राहुल... और तेज..." वो बार-बार कह रही थीं।
हम दोनों एक-दूसरे में पूरी तरह से डूब चुके थे। हर पल, हर साँस, हर स्पर्श में एक अजीब सा जादू था। मामी की सिसकारियाँ और मेरी तेज होती साँसें कमरे में एक मादक संगीत बना रही थीं। कुछ देर बाद हम दोनों एक साथ चरम पर पहुँचे। मामी ने मुझे जोर से गले लगाया और मेरे होंठों पर एक लंबा चुम्बन दे दिया।
उस रात के बाद हम दोनों के बीच का रिश्ता बदल गया। मामी अब सिर्फ मेरी मामी नहीं थीं, बल्कि मेरे दिल का एक हिस्सा बन चुकी थीं। हम दोनों ने उस रात को एक राज की तरह अपने दिल में छुपा लिया। मामा के वापस आने के बाद भी हम दोनों के बीच वो खास नजरें और वो छुपा हुआ प्यार बरकरार रहा।
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